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jaipur contribution in ramayan writing

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ये तथ्य सत्य से परे नही की जयपुर सिटी की भागीदारी रामायण लिखने एव अन्य कार्यो में मुख्य है क्योंकि पुरातत्व और शिलालेख गवाह हे की जयपुर का महत्वपूर्ण स्थान है किन्तु शोध और रिसर्च के आभाव में सत्य सामने नही पा रहे है इतिहास एवं हिंदी के शोध कर्ताओ को साथ ही राजस्थान सरकार को इस विषय में ध्यान देना चाहिए की वह शोध करवाए की श्रीराम और रामायण में जयपुर के योगदान पर स्कालरशिप प्रदान कर तथ्यों को सामने लाये जिससे जयपुर का विश्व में नाम रोशन हो तुलसी दास जी जयपुर पधारे थे रीवा के तत्कालीन राजा रघुवीर सिंह की दो सौ साल पहले लिखी भक्त माल की टीका में लिखे दोहे से ज्ञात होता है गलता की परिचय पुस्तक में भी लिखा गया है कि तुलसीदास जी तीन वर्ष तक गलता में निवास किया। जिन यह भक्त माल निर्माणी ते सब संतन न्योता दिन्यो शीघ्र संत प्यानो किन्हो तुलसी दास के न्योतो आयो ताहि विचार मन में अलसायो पंगत में कच्चो पकवाना द्विज को कहबो उचित न जाना यह विचार कर तह तहु न गयो पवन सुत तांसो कह देयो भक्त राज नाभा को जानो तुरत ही नह तंह को करो प्यानो हनुमत शासन सुनत गुसाई